हमे इस मौज़ू पर क़ुरआन, सहीह हदीस या सलफ की राय नही मिली हैं। तो अब इस सवाल का जवाब आलिम ए दीन से पूछते हैं।
शैख इब्ने उसैमीन कहते है,
“निर्धारित समय के अंदर दिन और रात में किसी भी समय क़ुर्बानी करना जायज़ है, जबकि दिन में क़ुर्बानी करना श्रेष्ठ है, और ईद के दिन दोनों खुत्बों के बाद क़ुर्बानी करना अफज़ल है। तथा हर दिन उसके बाद वाले दिन से श्रेष्ठ है, क्योंकि इसमें भलाई की तरफ पहल और जल्दी करना पाया जाता है।”
अहकामुल उज़्हिया [शैख इब्ने उसैमीन]
और अल्लाह सबसे बेहतर जानता है।
“निर्धारित समय के अंदर दिन और रात में किसी भी समय क़ुर्बानी करना जायज़ है, जबकि दिन में क़ुर्बानी करना श्रेष्ठ है, और ईद के दिन दोनों खुत्बों के बाद क़ुर्बानी करना अफज़ल है। तथा हर दिन उसके बाद वाले दिन से श्रेष्ठ है, क्योंकि इसमें भलाई की तरफ पहल और जल्दी करना पाया जाता है।”
अहकामुल उज़्हिया [शैख इब्ने उसैमीन]
और अल्लाह सबसे बेहतर जानता है।
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