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मज़ार और इस्लाम


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۩ जाबिर रज़िअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है कि नबी ﷺ ने कब्रो पर बैठना, कब्र का पक्का करवाना और कब्र पर ईमारत बनवााना मना फरमाया था।

सहीह मुस्लिम, किताब अल जनाईज़, हदीस 2245.


۩ शुमामा बिन शुफय्यी रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने बयान किया, उन्होंने कहा, 'हम सरज़मीन ए रोम के जज़िराह “रूदिस” में फज़ालाह बिन उबैद रज़िअल्लाहु तआला अन्हु (सहाबी) के साथ थे कि हमारा एक दोस्त वफात पा गया। फज़ालाह बिन उबैद रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने उनकी कब्र के बारे में हुक्म दिया तो उसको बराबर कर दिया गया, फिर उन्होंने कहा, “मैंने रसूलअल्लाह ﷺ से सुना है कि आप ﷺ कब्रों को (ज़मीन के) बराबर करने का हुक्म देते थे।”'

सहीह मुस्लिम: किताब अल जनाईज़, हदीस 2242.

۩ अबुल हय्याज अल-असदी रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने कहा कि सैयदना अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने उनको कहा कि क्या मैं तुम्हें उसी मक़सद के लिए ना भेजु जिस मक़सद के तहत रसूल अल्लाह ﷺ ने मुझे भेजा था। (वह यह है) कि तुम किसी तस्वीर को ना छोड़ना मगर मिटा देना या किसी ऊंची कब्र को ना छोड़ना मगर उसे (ज़मीन के) बराबर कर देना। 

सहीह मुस्लिम, किताब अल जनाईज़, हदीस 2243.

۩ आयशा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा कहती है कि जब नबी ﷺ बीमार पड़ गए तो आप ﷺ की बाज़ बीवीयों (उम्मे सलमा और उम्मे हबीबा रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा) ने एक गिरजे का ज़िक्र किया जिसे उन्होंने हब्शा में देखा था जिसका नाम मारिया था। उम्मे सलमा और उम्मे हबीबा रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा दोनों हब्शा के मुल्क में गई थी। उन्होंने इसकी खुबसूरती और इसमें रखी हुई तस्वीर का भी ज़िक्र किया। इस पर आ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सर मबारक उठा कर फरमाया, “यह वह लोग है कि जब उनमें कोई नेक शख्स मर जाता तो उसकी कब्र पर ईबादतगाह बना लेते और उसकी तस्वीर उसमें रख देते, अल्लाह के नज़दीक यह लोग सारी मख्लुक में बद-तरीन (बुरे) मख्लुक है।

सहीह बुखारी, किताब अल जनाईज़, हदीस 1341.

۩ रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: “ऐ अल्लाह मेरी कब्र को बुत ना बनाना जिसकी ईबादत की जाये। अल्लाह का उस कौम पर सख्त गज़ब नाज़िल होता है जो अपने नबीयों की कब्रों को ईबादतगाह बना लेते है।”

मोअत्ता इमाम मालिक सफा नं. 88.

۩ जुन्दुब रज़िअल्लाहु तआला अन्हु ने कहा: मैंने नबी ﷺ को आपकी वफात से पांच दिन पहले यह कहते हुए सुना, “मैं अल्लाह तआला के हुज़ूर इस चीज़ से बराअत का इज़हार करता हूं कि तुममें से कोई मेरा खलील हो क्योंकि अल्लाह तआला ने मुझे अपना खलील बना लिया है, जिस तरह उसने इब्राहीम अलैहिस्सलाम को आपना खलील बनाया था, अगर मैं अपनी उम्मत में से किसी को अपना खलील बनाता तो अबु बकर रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को खलील बनाता। खबरदार! तुमसे पहले लोग अपने अम्बियां और नेक लोगों की कब्रों को ईबादतगाह बना लिया करते थे, खबरदार! तुम कब्रों को ईबादतगाह ना बनाना, मैं तुमको इससे रोकता हूं।

सहीह मुस्लिम, किताब अल मस्जिद व मवाज़िहिस्सलात, हदीस 1188.

नोट: बहुत से लोग कहते है कि हम बाबा की ईबादत कहां करते है लेकिन हम तो सिर्फ उनसे दुआ मांगते है तो उनके इल्म के इज़ाफे के लिए बता दूं कि हज़रत नौमान बिन बशीर रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “दुआ ईबादत है”।

जमिआ तिर्मिज़ी किताब अद दावात, हदीस 3372. इमाम तिर्मिज़ी ने इसे हसन सहीह कहा है।

۩ इमाम शाफई रहमतुल्लाह अलैय फरमाते है:

“मैंने हुक्मरानों को मक्का ए मुकर्रमा में कब्रों पर से ईमारत गिराते देखा है, (और) फुकहा ए कराम को मैंने इस पर कोई ऐतराज़ करते नहीं देखा।”

किताब अल-उम्म 1/316.

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