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अब अगर कहीं शैतान का असर हो जाए किसी पे जादू हो जाए तो इंसान क्या करे?
बहुत सारे लोग जादू के तोड़ के लिए जिन्नात निकलवाने के लिए आलिमों के पास जाते हैं, और ग़ैर शरीयत तरीक़े इस्तेमाल करते हैं, और वो फिर उनसे कहते हैं बकरा लाओ और उसको ज़िबहा करो और उसका ख़ून (खून) लो मुक़्तलिफ़ बाल( बाल) लाओ.
इस तरह की बहुत सी चीज़ फिर हज़ारों रुपये उन से बटोर लेते हैं। बस अवकत वो पुतले बनकर उन पर सुइंयां लगाते हैं बहुत कुछ करते हैं।
तो उसके लिए एक तो ये है कि उसका तोड़ शरई तरीक़े से होना चाहिए ग़ैर मसनून और ग़ैर शराय तरीक़े इस्तमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि "जान तो गई ईमान न जाए"। जान को नुक्सान तो हुआ बीमार हुई तकलीफ़ हुई लेकिन ईमान ना जाए। इसके लिए नबी ﷺ ने जहां मुक़तलिफ़ इलाज बताया है या कुछ इलाज कुरान पाक से तजवीज किए जाते हैं उसके साथ कुछ और तारीखें भी बताई गई हैं जैसे खजूर खाना, ये एक दीफाई तरीका है और अगर हो भी चुका हो तो ऐसा असर तो माजिद है तारीक को जारी रखा जासकता है।
इसके अलावा एक और तरीक़ा ये है के सब्ज़ बेरी के ७ पत्ते ले कर दो पत्थरों के दरमियान उसको कुत्ता जाए और फिर कुटे हुए पत्ते में इतना पानी मिल जाए कि जो नहाने के लिए काफी हो, फिर ये आयत पढ़कर पानी पर दम करे:
इन आयत को (औज़ुबिल्लाहि मिनाशैतान निर राजिम) पढ़ कर पढ़ जाएगा।
सब से पहले (अयाताल कुर्सी) इसके बाद सुरेह अल अराफ की आयत नंबर:११७ से १२२ तक
फ़िर सुरेह यूनुस की आयत नंबर:७९ से ८२ तक
फ़िर सुरे ताहा की आयत नंबर:६५ से ७० तक
इसके अलावा मुआव्वाज़ातैन (क़ुल अउज़ू बी रब्बिल फलक और क़ुल अज़ू बी रब्बिन नास) और सूरह काफिरून और सुरे इखलास यानी ४ क़ुल।
ये आयत पढ़ कर बेरी के पत्ते वालों पानी पर दम करे और ३ घूंट पानी पी ले और बाकी पानी से नहाली इन शा अल्लाह फैदा होगा। बहुत हो ये अमल २ या ३ मरतबा दोहरा लेने से कोई हर्ज नहीं यहां तक के मर्ज़ ख़तम होजाये। ये तरीक़ा पति पत्नी में इक्तेलाफ़ दूर करने का इलाज भी है, इस बात का ज़िक्र इब्ने बाज़ ने अपने फतवे में किया है, और मुसन्नफ़ अब्दुल रज़्ज़ाक़ में भी ये मिलता है। ये बिल्कुल ऐसा ही इलाज है जैसे आप नहाते वक्त डेटॉल पानी मैं दाल लेता हूँ. आप देखते होंगे कि मुर्दे को भी बेरी के पत्तों से निहलाया जाता है सफाई के लिए। जाये. उसपे पानी डाला जाए इसके लिए बेरी के पत्ते इस्तेमाल किए जाएं।
फिर इसी तरह दुआएं पढ़ी जाए, और खास तौर पर जो हजरत मूसा (अ.स.) और जादू गैरों के मुकाबले में जो आयत है उन आयतों को पढ़ी जाए:
सुरेह ताहा आयत नंबर-६९
इसके अलावा सुरेह उनुस की आयत नंबर-७९ से ८२ है।
शुद्ध यकीन से आयत को पढ़े फिर सुरेह अल अराफ आयत नंबर-११८
फ़िर सुरे ताहा की आयत नंबर-६९
इन आयत को पढ़ कर दम करके पी ले या इस से नहा ले और आयत का जिक्र करते रह
फ़िर इसी तरह ये दुआ मांगे: रब्बी इन्नी लीमा अंजल्ता इले यौमिन क्वायरिन एफएक्यूईईआर
तरजुमा: अल्लाह जो खैर भी तू मेरी तरफ नाज़िल करे मैं उसका मोहताज हूंमई तुझसे भलाई चाहता हूं)
फ़िर: इहदीनस सीरतल मुस तकीम - अल्लाह हमे सीधा रास्ता दिखा
फ़िर इयाका ना बुदु वा इयाका नास्ताईन - हम तेरे इबादत करते हैं और तुझ से मदत चाहते हैं।
फ़िर रब्बी फ़रहम वा अन्ता क़ैरुर रहीमीन - अल्लाह तू बख्श दे और रहम फ़रमा और तू सब से बड़ा रहम करने वाला है।
ये कुछ औरात जो हैं कुरान पाक की आयत से और हदीस से और मसनून दुआओं की शक्ल में हैं। इनका पढ़ना जादू के तोड़ में बहुत मुफीद है। ये जिक्र ए इलाही है, फिर सुबह शाम की दुआएं।
बा'ज़ ग़ाज़ियान है जो इंसान को इस बीमारी में शिफ़ा देता है जैसे शहद। कुरान पाक में इसके बारे में पता है कि अल्लाह ने इसे शिफा कहा है।
इसी तरह कलौंजी, इसके बारे में हदीस में आता है कि इस में मौत के सिवा हर बीमारी का इलाज है। (कलौंजी को ३ या ७ दाने खानी चाहिए).
इसी तरह बारिश का पानी इसमें नहा भी सकता है या फिर इसको इखट्टा करके नहा सकता है। कुरान पाक में अल्लाह फरमाते है, "हमने आसमान से बरकत वाला पानी उतारा है"।
इसी तरह ज़ैतून का तेल (जैतून का तेल)। इस्के मुतल्लिक आप ﷺ ने फरमाया कि इस तेल को खाओ और इससे मसाज करो बहस ये एक मुबारक डरकत से है। क़ुरान पाक में इस दरक़्त को (शजरातन मुबारका) कहा गया है। ये सब चीज़ ताजरूबे से भी साबित है और आयत और अहादीस से भी साबित है।
अपनी जिंदगी में अपनी गीज़ाओं को साफ रखा जाए और ऐसा कुछ इस्तमाल किया जाए जो इंसान की सेहत को भी दुरुस्त रखे और ऐसे तमाम क़िस्म के शर (नुक्सान देने वाली चीज़) से महफ़ूज़ भी रहे।
नबी ﷺ ने फरमाया जिस घर में सुरे बकरा पढ़ी जाए उस घर में शैतान दाखिल नहीं हो सकता।
हज़रत अब्दुल्ला बिन मसूद र.अ. से मारवी है कि जो शक्स सुरे बकरा की पहली ४ आयतें, आयतल कुर्सी और इसके बाद की २ आयतें और इसी सूरत की आखिरी ३ आयत रात के वक्त पढ़ले तो उस रात शैतान उसके घर नहीं जा सकता और उस दिन को उसके घर वालों को शैतान हां और कोई बुरी चीज सता नहीं सकता।ये १० आयतें अगर किसी मजनू पर पढ़ी जाए तो उसका दीवाना पान दूर हो जाता है। ये अब्दुल्लाह बिन मसऊद ने फरमाया।
इसी तरह मुआव्वज़ातैन नबी ﷺ पर जब यहुद ने जादू किया तो अल्लाह ने ये सुरतेन नाज़िल फरमाई जिसकी वजह से जादू का असर ज़ैल हुआ।
हज़रत आयशा से मरवी है कि रसूल ﷺ ये दोनों सूरतें पढ़ कर अपनी दोनों हाथों पर फूँक लिया करते थे फिर सर मुँह अपने तमाम जिस्म पर फेर लिया करते थे। रात को सोते वक्त पढ़ कर दोनो हाथों पे फंक मार के फिर उसको जहां जहां तक हाथ पहुंच सके ता है सारे जिस्म को वैसा किया जाए। रसूल (स.अ.व.) का इरशाद है के अगर किसी को शैतान ख्वाब में डराए तो वो ये दुआ पढ़े:
"आओज़ू बी काली मातिल लहित तम्माति मिन ग़ज़ाबी हाय वा इकाबिही वा शरीरी इबादीही वा हमाज़ा तिश शायतिनुव वा अयिन याहज़ुरून"।
मैं अल्लाह के शुद्ध कलीमात के साथ हमारे ग़ज़ब और उसके अज़ब और उसके बंदों के शहर से और शैतानो के वसवासन से पनाह मानता हूं और ये के वो हाज़िर हो मेरे पास।
जब ये दुआ पढ़ी जाएगी तो इन शा अल्लाह इन असरत से महफ़ूज़ रहेंगे। और याद रहे कुरान पाक खुद शिफा है। अगर क़ुरआन पाक को तरतील के साथ पढ़ा जाए या सुना जाए तो बहुत असर होता है और ख़ुसूसन अयातल कुर्सी का सुन्ना क़सरत के साथ इस से फ़ायदा होता है। ये चीज इन शा अल्लाह ऐसा शर और मुसिबतों से बचाओ का फैदा होग्य कुरान पाक में अल्लाह फरमाते है, "और हमने कुरान मजीद को उतारा जो मोमिनो के लिए शिफा और रहमत है"। तो कुरान पाक का पढ़ना शिफा और रहमत है।
हरज़त आयशा र.अ. कि एक हदीस है जिसका अता है कि एक मरतबा हुजूर ﷺ उनके पास ऐ और वो एक औरत पर बांध कर रही है तो आप ने फरमाया इस्काइलज कुरान मजीद से करो यानी कुरान मजीद का कुछ हिसाब पढ़ कर इस पर बांध करदो.इससे पता चलता है कि अगर कोई शक्स बीमार है चाहे जिस्मानी बिमारी है या खौफ जादा है या नजर का शिकार है या जादू का शिकार है ऐसे तमाम लोगो पर कुरान पाक की आयत पढ़ कर दम किया जासकता है, दम का मतलब बिना यानी पढ़ कर उस पर फंक मार देना.सुरेह फातिहा पढ़ना क्योंकि वो शिफा है।
आप ﷺ ने दम करने की इजाज़त दी है, लेकिन दम वो किया जा सकता है जो शिर्क से पक गया। आप के पास चांद लोग ऐ और उन्हें कहा कि हम जहिलियत के दौर में दम किया करते थे यानी बीमारो के इलाज के लिए भी आप ने फरमाया अपने दम पर पेश करो बताओ कि क्या पढ़ते थे और हर ऐसा दम दुरुस्त है जिसमें कोई शिर्क ना पाया जाता हो, लेकिन ये याद रहे कि जादू के मुतल्लिक नबी ﷺ ने फरमाया, "जिस ने कुछ भी सिखाया जादू में से थोड़ा हो या ज्यादा उस का मुअमला अल्लाह से खतम"।आप ﷺ ने फरमाया जिस ने इल्मे नुजुम का कुछ हिसा हासिल किया तो गया उसने इतना जादू सिख लिया और जिस कदर सिखा जाएगा उतना ही उसकी वजह से गुनाह में इज़ाफ़ा हो जाएगा। पढने में तो ये लगु चीज़ है। नबी ﷺ ने इसे मना किया है।
कहते हैं कि बुरी जो होती है उसके करीब से भी गुज़रने से उसका असर आने का डर होता है। इसी तरह एक और चीज़ आप ﷺ ने फरमाया कि जो शक्स ग्यारह लगते हुए फूंक मारे, उसने जादू किया और जो जादू करे उसने शुरू किया। बाज़ वक़्त लोग ऐसे करते हैं कि कोई कलाम पढ़ता है और फिर हममें ग्यारह लगाके हमें फूँक मारते हैं तो ये जादू होता है।
गिरह लगाना मतलब बंदिश करना, बंदिश का मतलब बंद करना, नजर बंद, शादी बंद, बच्चे बंद, रिजक बंद, ख्याल बंद, लेकिन इसका असर जब होता है तब अल्लाह चाहता है।
ऐसा भी होता है कि लोगों को थोरी सी भी तकलीफ हो तो जादू समझ जाता है, ऐसी हमारी टीम का भी शिकार नहीं होना चाहिए कि छोटी से छोटी तकलीफ को भी जादू का नाम दे दिया जाए। इस से इंसान जब तबाहों में गिरफ़्तार होता है तो उसकी अमल की सलाह और उसकी रचनात्मकता मुतासिर होने लगती है, तो शैतान हम को आम तौर पर याद दिलाता है कि हम ऐसे ववासों का शिकार हो जाए तो हम काम ना करें, अगर कोई ऐसा वेहम अने लगे तो औज़ोबिल्लाही मिनट शैतान निर्राजीम पढ़े, आयतल कुर्सी पढ़े, क्यूल पढ़ कर अपने ऊपर दम करली और वो दुआ पढ़े जो हज़रत काबुल एहबार पढ़ते थे।
उमूमन ये होता है कि जब आप कोई अच्छा काम शुरू करते हैं तो शर की क़ुव्वतें आपकी ख़िलाफ हो जाती हैं। शैतान इंसान मुक़तलिफ़ तरह के लोग वो आपको सराहना करने के लिए बुलाते हैं आप पर हसद करने लगते हैं या आपके साथ बुरा चाहते हैं। ऐसी तमाम इंसान इंसान को खौफ़ ज़दा रखता है। याद रहे कि नबी ﷺ ने ऐसी तमां वहम से पनाह मांगी है, आप दुआ मंगा करते थे कि ऐ अल्लाह मैं तफक्कुरत और गम से पनाह चाहता हूं क्यों इस लिए कि जब इंसान के दिल में गम जगह पकड़ता है तो कोई काम नहीं हो सकता, खौफ जगह पकड़ले तो बहुत सी अपनी कुव्वातों और सलाहियतों से महरूम होजाता है। इसी तरह कोई और परेशान इंसान को बेवजह लग जाए जिसकी कोई हकीकत नहीं बस वहां पर मबनी है तो इंसान भूत से करमतुल मुफीद काम नहीं कर सकता। इस लिए इंसान से इंसान बचा रहे, या उसका ज़हें खाली रहे तो इंसान जो अपनी सकारात्मक सलाहियतें है उनको खैर के रास्ते में लगता रहता है। कुछ चीजें हमारे कंट्रोल में नहीं होती जैसे अगर कोई शक्स हम से परेशान है तो आप किस तरह उसे पकड़ के रोकें, बाज़ वक्त पता चल जाता है तो आप उसके साथ अच्छा काम करते हैं जिसकी वजह से हो सकता है कि उसका गुस्सा ठंडा हो जाए, लेकिन बसा अवकत पता नहीं चलता और वो दिल ही दिल में जलता होता है और पीछे-पीछे जेड गंदा होता है और आपको पता ही नहीं चलता वो क्या कर्रा होता है।
लोगों के खिलाफ आप क्या डिफा (बचाओ) करेंगे अपना तो बेहतर ये है कि आप अल्लाह से मदद मांग ले और दुआ मांग ले और सारी चीजों से बे नियाज हो कर जो कर रहे हैं वो करते जाए क्योंकि वक्त जो है वो बहुत कीमती है चीज़ है वो फ़िक्र और परेशानियों में गवाने के लिए नहीं है। बोहत सी चीज़ का इलाज हमारे पास नहीं होता, तो मोमिन के लिए ये दुआ असलिहा की तरह है।
यह डॉ. फरहत हाशमी के व्याख्यान "जादू, हकीकत और इलाज" से लिया गया। अल्लाह उसे उनके प्रयास के लिए पुरस्कृत करे।
मुकम्मल इलाज के लिए 2 (दो) ऑडियो लेक्चर दिए गए हैं, इसको सुने और जो कहा गया है उस पर अमल करे।
ऑडियो लेक्चर का लिंक:- https://app.box.com/jinn
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