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खाना खाने के आदाब


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अल्लाह पाक कुरआन मजीद में फरमाता है,

“और खूब खाओं और पियों और हद से मत निकलों। बेशक अल्लाह हद से निकल जाने वालों को पसंद नहीं करता।”

( सुरह आराफ आयत न. 31)

۩1. खाने से पहले हाथें को धोया जाए

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम जब खाना खाने का इरादा करते तो पहले अपने हाथ धोते फिर खाते। 

(सुनन निसाई 256)

۩2. खाना बैठ कर खाया जाए

नबी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इस बात से मना फरमाया कि कोई शख्स खड़ा होकर पानी पीये। क़तादा कहते है हमने (अनस रज़िअल्लाहु तआला अन्हं से) कहा खाने के बारे में क्या है? तो उन्होंने कहा यह ज़्यादा शर वाला और गंदा अमल है।

(सहीह मुस्लिम 5275)

۩3. बिस्मिल्लाह पढ़ कर खाना शुरू किया जाए

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया “जब तुम में से कोई खाना खाने लगे तो बिस्मिल्लाह पढ़ ले अगर शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़नी याद न रहे तो खाने के दौरान जब भी याद आये तो यह पढ़ले: बिस्मिल्लाही फी अव्वलिही व आखिरिही।”

(तिर्मिज़ी 1858)

۩4. खाना दाएं हाथ से खाये

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया “जब तुम में से कोई (खाना) खाये तो दाएं हाथ से खाये और जब पानी पीये तो दाएं हाथ से पिए। बेशक शैतान बाएं हाथ से खाता और पीता है।

(सहीह मुस्लिम 5265)

۩5. खाना बर्तन के नज़दीक से खाया जाए

नबी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया: “तुम प्याले के नज़दीक से खाओं ओर इसकी दर्मियान से न खाओ, बेशक बरकत खाने के दर्मियान में उतरती है।

(मुसनद अहमद 2439)

आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम जब खाना तनावल फरमाते तो अपने सामने से खाते। 

(अल सिलसिलाते अस सहीहा 2062)

۩6. खाना टेक लगाकर न खाया जाए

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया: “टेक लगाकर न खाओं। 

(अल सिलसिलाते अस सहीहा 3122)

۩7. खाना गरम गरम न खाया जाए

सैयदा असमा बिन्ते अबु बक़र रज़िअल्लाहु तआला अन्हां जब शरीद बनाती तो इसे किसी चीज़ से ढांप देती यहां तक कि इसका जोश और धुआं खतम हो जाता फिर फरमाती कि मैंने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को फरमाते हुए सुना है कि यह ज़्यादा बरकत वाला होता हे। 

(मुसनद अहमद 26958)

۩8. खाने में एैब़ ना निकाला जाए

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने कभी खाने में कभी एैब़ नहीं निकाला अगर खाने की ख्वाहिश होती तो तनावल फरमाते (खाते) वरना छोड़ देते। (सहीह बुखारी 5409)

۩9. खाना पेट भर कर ना खाया जाए

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया आदमी अपने पेट से ज़्यादा बदतरीन किसी बर्तन को नहीं भरता, आदम के बेटे के लिए इतने लुक्में ही काफी है जो इसकी कमर को सीधा रखे और अगर ज़रूरी ही हो जाए तो पेट के एक हिस्से को खाने के लिए और दुसरे को पानी के लिए और तीसरे को सांस के लिए रखें। (सुनन तिर्मिज़ी 2380)

۩10. खाना सबके साथ मिलकर खाया जाए

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया: “अल्लाह तआला के यहां महबूब खाना वह है जिस पर हाथ ज़्यादा हो। 

(मुसनद अबी याअलाअल मुसली 2045)

सहाबा ने आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से कहा कि हम खाना खाने के बावजूद सैर नहीं होते, आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया शायद कि तुम अलहदा अलहदा (अलग-अलग) खाते हों ? सहाबा कहने लगे: जी हां, तो आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया: तुम अपने खाने पर जमा होकर बिस्मिल्लाह पढ़ कर खाया करों, अल्लाह की तरफ से इस खाने में तुम्हारे लिए बरकत डाल दी जाएगी।

(सुनन अबी दाऊद 3764)

۩11. खाने में बड़ों को मुकद्दम किया जाए

सैयदना हुज़ैफा रज़िअल्लाहु तआला अन्हं से रिवायत है कि हम जब नबी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के साथ खाना खाते तो अपने हाथ ना डालते यहां तक कि आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम शुरू करते और हाथ डालते।

(सहीह मुस्लिम 5259)

۩12. खाने के बाद उंगलियों को चाटां जाए

रसूल अल्लाह सल्लललाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया: जब तुममें से कोई खाना खाये तो उस वक्त तक हाथ रूमाल से ना पोंछें जब तक कि उसे चाटं ना ले या चटवां न लें।

(सुनन अबी दाऊद 3847)

۩13. खाने के बाद हाथों को धोया जाए

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया: “जो शख्स इस हालत में रात गुज़ारे कि उसके हाथों में चिकनाई की बू हो और उसे कोई चीज़ तकलीफ पहुंचाये तो वह खुद को ही मलामत करें।”

(सुनन तिर्मिज़ी 1860).