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अल्लाह फरमाते है,
'बेशक तुम्हारे रब्ब की पकड़ बड़ी मुश्किल है।'
सूरह बुरुज (८५), आयत- १२
۩ हज़रत अबू हुरैरा र.अ. ने बयान किया के हम नबी ﷺ के साथ खैबर की लड़ाई के लिए निकले। इस लड़ाई में हमें सोना, चाँदी गनीमत में नहीं मिला था बलके दूसरे अम्वाल, कपड़े और सामान मिले थे। फ़िर बानी विज्ञापन-दुबैब के एक शख़्स रिफ़ा'आ बिन ज़ैद नामी ने रसूलल्लाह ﷺ को एक गुलाम हदिया (तोहफ़ा) में दिया, गुलाम का नाम मिद'अम था।
फ़िर रसूलअल्लाह ﷺ वादी-ए-अल-क़ुरा की तरफ मुतवज्जा हुए और जब आप वादी-ए-अल-क़ुरा में पहुंच गए तो मिदआम को जब के वो आप ﷺ का किजावा दुरुस्त कर रहा था, एक अंजान तीर आ कर लगा और उसकी मौत हो गई।
लोगों ने कहा के जन्नत उसे मुबारक हो, लेकिन रसूल ﷺ ने फरमाया के हरगिज नहीं!, उस जात की कसम जिसके हाथ में मेरी जान है, वो कंबल जो इसने तकसीम से पहले खैबर के माल-ए-गनीमत माई से चुरा लिया था, वो इस पर आग का अंगारा बन कर जल रहा है।
जब लोगों ने ये बात सुनी तो एक शख्स की चप्पल का तसमा या दो (२) तस्मे ले कर आप की खिदमत में हाज़िर हुआ, (मतलब जो बिना इजाजत लिया था वो वापस ले आया)। आप ﷺ ने फरमाया के ये आग का तस्मा है या दो (२) तस्मे आग के है।
साहिह अल-बुखारी, शपथ और प्रतिज्ञा की पुस्तक, हदीस- ६७०७।
गौर करने की बात है कि अल्लाह ने हमें सहाबी ए रसूल को नहीं छोड़ा जो आप ﷺ की खिदमत करता था तो आप और हमारी क्या बात है अगर अल्लाह पकडने पर आए तो। इसी के लिए अल्लाह से हमेशा डरते रहना चाहिए और उसके मन किए हुए काम से दूर रहना चाहिए।
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