اقرأ باسم ربك الذي خلق

क्या अंधेरे में नमाज़ पढ़ी जा सकती है ?


ro     ur     en   -
अलहमदुलिल्लाह

अंधेरे में नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं है।

۩ अबु सलमा रज़िअल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है कि आयशा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा ने बतलाया कि मैं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आगे सो जाती थी और मेरे पांउ आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के क़िब्ला के उलट (opposite) होते थे। जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सज्दा करते, तो मेरे पांउ को आहिस्ता से दबा देते। मैं अपने पांउ समेट लेती और आप जब खड़े हो जाते तो मैं इन्हें फिर फैला देती। उन दिनों घरों में चीराग़ भी नहीं हुआ करते थे।

सहीह अल बुखारी, किताब अल सलात (8), हदीस 382.

۩ शैख अब्दुल करीम अल-खुदैर रहमतुल्लाह अलैय इसके मुताअल्लिक फरमाते है:

“अगर नमाज़ पूरी शरायत और अरक़ान और वाजिबात के साथ अदा की जाये तो वह नमाज़ सहीह है, और रोशनी ना तो नमाज़ की शर्त में से है और ना ही इसके अरक़ान और वाजिबात में शामिल है।
इल्ला यह कि अंधेरा नमाज़ी के लिए ख़ौफ का बाईस हो और इसकी बिना र इसका खुशुअ ओ खुज़ुअ ही जाता रहे तो फिर अंधेरे में नमाज़ पढ़ना मकरूह है।”


•٠•●●•٠•