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۞ ईमाम अल मुहद्दिसीन, ईमाम बुखारी रहमतुल्लाह अलैय फरमाते है,
“सरदार बनने के बाद भी इल्म हासिल करों, क्योंकि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबा-ए-किराम रज़िअल्लाहु तआला अन्हुम ने बड़ी उम्र में इल्म हासिल किया।”
सहीह अल बुखारी, किताब अल ईल्म (3), बाब: इल्म-ओ-हिक्मत में रश्क करना, हदीस 73 के तहेत.
इस बाब के तहत ईमाम बुखारी यह हदीस लेकर आये है:
۩ अब्दुल्लाह इब्न ए मसऊद रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है, उन्होंने फरमाया: नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “रश्क (हसद) सिर्फ दो (2) बातों में जायज़ है, एक तो उस शख्स (की आदत) पर जिसे अल्लाह तआला ने माल दिया हो और वह इसे राह ए हक़ में खर्च करता हो और दुसरे उस शख्स (की आदत) पर जिसे अल्लाह ने (कुरआन और हदीस का) इल्म दे रखा हो और वह उसके मुताबिक फैसलें करता हो और लोगों को उसकी तालीम देता हो।”
सहीह अल बुखारी, किताब अल ईल्म (3), हदीस 73.
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