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कुत्ता पालने का हुक्म


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पवित्र इस्लामी शरीअत (धर्म शास्त्र) ने कुत्ता रखना मुसलमान पर हराम (निषिद्ध) कर दिया है, और इस का उल्लंघन करने वाले को इस प्रकार दंडित किया है कि प्रत्येक दिन उसकी नेकियों में से एक क़ीरात या दो क़ीरात की कमी कर दी जाती है, किन्तु इस दण्ड से वह कुत्ता अलग कर दिया है जिसे शिकार के लिए, या मवेशियों की रखवाली के लिए या खेती (फसल) की रखवाली के लिए रखा जाता है।

۩ अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी ﷺ ने फरमाया : "जिस ने मवेशियों, या शिकार, या खेती के कुत्ते के अलावा कोई कुत्ता रखा, उसके अज्र (पुण्य) से हर दिन एक क़ीरात कम कर दिया जाता है।"

सहीह मुस्लिम  हदीस- 1575.

۩ अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि उन्हों ने कहा कि अल्ला के पैग़ंबर ﷺ ने फरमाया : "जिस आदमी ने पशुधन की रक्षा के लिए, या शिकार के अलावा कोई कुत्ता रखा उसके अमल से हर दिन दो क़ीरात कम कर दिया जायेगा।"

सहीह अल बुखारी, हदीस- 5480.

۩ इमाम नववी से सवाल किया गया:

क्या घर की रखवाली के लिए कुत्ता रखना जाइज़ है?

इमाम नववी कहते हैं,

'ऊपर उल्लिखित तीन कामों के अलावा किसी और उद्देश्य जैसे कि घरों और रास्तों की रक्षा के लिए कुत्ता रखने के जाइज़ होने के बारे में मतभेद है, और राजेह (उचित) बात यह है कि हदीस से समझी जाने वाली इल्लत (कारण) अर्थात् ज़रूरत पर अमल करते हुये और उपर्युक्त तीनों चीज़ों पर क़ियास करते हुये वह जाइज़ है।'

शरह सहीह मुस्लिम, 10/236.

۞ घर में कुत्ते होने से फ़रिश्ते नहीं आते 

۩ अली रज़ियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं की रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया,

'फ़रिश्ते उस घर में दाखिल नहीं होते जिस में कुत्ते और तस्वीर हो।'

सुनन इब्न माजह, किताब अल लिबास (32), हदीस- 3650.

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