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मेरी पत्नी ने हज्ज का कर्तव्य पूरा नहीं किया है, तो क्या मेरे ऊपर अनिवार्य है कि मैं उसे हज्ज कराने के लिए लेकर जाऊँ और क्या हज्ज में उसका खर्च मेरे ऊपर अनिवार्य है?
उत्तर का पाठ
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
''यदि पत्नी ने विवाह के अनुबंध में शर्त लगाया था कि वह उसे हज्ज करायेगा, तो उसके ऊपर अनिवार्य है कि वह इस शर्त को पूरा करे और उसे हज्ज कराए। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान हैः ''तुम्हारे पूरा किए जाने का सबसे अधिक हक़दार शर्त वह है जिसके द्वारा तुम ने शरमगाहों को हलाल किया है।'' जबकि अल्लाह का फरमान हैः
ऐ ईमान लानेवालो! प्रतिज्ञाओं का पूर्ण रूप से पालन करो।'' (सूरतुल मायदाः 1).
तथा अल्लाह ने फरमाया :
और प्रतिज्ञा पूरी करो। प्रतिज्ञा के विषय में अवश्य पूछा जाएगा।'' (सूरतुल इस्राः 34).
परन्तु यदि उसने उसके ऊपर शर्त नहीं लगाई है, तो ऐसी स्थिति में उसके लिए ज़रूरी नहीं है कि वह उसे हज्ज कराए, लेकिन मैं उसे कुछ बातों की वजह से हज्ज कराने की सलाह देता हूँ:
सर्व प्रथम : अज्र व सवाब प्राप्त करने के लिए, क्योंकि उसके लिए उसी की तरह अज्र व सवाब लिखा जायेगा जो उसके (यानी पत्नी के) लिए लिखा गया है, जबकि उसने हज्ज का फरीज़ा अदा कर लिया।
दूसरा : यह उन दोनों के बीच अंतरंगता और अपनेपन का कारण है और जो भी चीज़ पति और पत्नी के बीच अंतरंगता और अपनापन पैदा करनेवाली हो, तो उसका हुक्म दिया गया है।
तीसरा : इस काम पर उसकी प्रशंसा और सराहना की जाए, और उसका अनुसरण किया जाए।
अतः उसे चाहिए की अल्लाह से मदद मांगे और अपनी पत्नी को हज्ज कराए, चाहे उसने उसके ऊपर इसकी शर्त लगाई हो या शर्त न लगाई हो। लेकिन अगर उसने शर्त लगाई थी तो उसके ऊपर उसे पूरा करना अनिवार्य हो जाता है।'' अंत
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स्रोत: फज़ीलतुश्शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह। ''फतावा इब्ने उसैमीन'' (21/114).
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