اقرأ باسم ربك الذي خلق

मुख्तसर सीरत उन नबी ﷺ


नबी ए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में मुख्तसर हालात ए ज़िन्दगी ।

۞ नाम व नसब

सैयदना अबु क़ासिम मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुत्तलिब (शैबान) बिन हाशिम (अम्र) बिन अब्दे मन्नाफ (अल-मुग़ैराह) बिन क़ुसाई (ज़ैद) बिन किलाब बिन मुर्राह बिन काअब बिन लुअई बिन ग़ालिब बिन फहर बिन मालिक बिन नज़र बिन किनाह बिन ख़ुज़ैमाह बिन मुदरिकाह (आमिर) बिन इल्यास बिन मुज़र बिन निज़ार बिन मआद बिन अदनान, इस्माईल बिन इब्राहीम की औलाद में से।

आपकी वालिदा का नाम आमिना बिन्त ए वहाब बिन अबी मन्नाफ बिन ज़ुहराह बिन किलाब बिन मुर्राह है।

۞ विलादत

माहे रबी उल अव्वल (571 ईस्वी) बरोज़ सोमवार (जिस साल अबरहा काफिर ने अपने हाथी के साथ मक्का पर हमला किया था और अल्लाह ने उसे उसकी फौज समेत तबाह कर दिया था) आप की विलादत हुई।

आपके वालिद अब्दुल्लाह, आपकी पैदाईश से तक़रीबन महिना या दो महिने पहले फौत हुए, (देखे: सीरतुन्नबवी लिल ज़हबी, सफाह-49) और जब आप सात (7) साल के हुए तो आपकी वालिदा फौत हो गई फिर आपके दादा अब्दुल मुत्तलिब ने आपकी परवरिश की और जब आप आठ (8) साल के हुए तो अब्दुल मुत्तलिब भी फौत हो गए, उनकी वफात के बाद आपके चाचा अबु तालिब ने आप को अपनी किफालत में ले लिया।

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:

دعوة أبي إبراهيم و بشارة عيسى بي و رؤيا أمي التي رأت

“मैं आपने आबा (दादा) इब्राहीम अलैहिस्सलाम की दुआ औैर (भाई) ईसा अलैहिस्सलाम की बशारत (खुश खबरी) हूं और अपनी माँ का ख्वाब हूं जिसे उन्होंने देखा था।”

मुसनद ईमाम अहमद, 4/127, हदीस- 17150, इसकी सनद हसन (लि ज़ातिहि) है।

۞ हुलिया मुबारक

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का चेहरा चाँद जैसा (खूबसुरत, सुर्खि माईल, सफैद और पुर नूर) था, आपका क़द दर्मियाना था और आपके सर के बाल कानों या शानों तक पहुंचते थे।

۞ निकाह

सय्यिदाह खदिजा बिन्त ए खुवैलिद बिन असद बिन अब्दुल उज़्ज़ा बिन क़ुसाई रज़िअल्लाहु तआला अन्हा से आपकी शादी हुई और जब तक खदिजा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा ज़िन्दा रही, आपने दुसरी शादी नहीं की।

۞ बेटें

क़ासिम, तय्यब, ताहिर (और इब्राहीम)।

۞ बेटियां

रूक़य्या, ज़ैनब, उम्म ए क़ुलसुम और फातिमा।

۞ पहली वही

ग़ार ए हिरा में जिब्रील ए अमीन अलैहिस्सलाम तशरीफ लाये और सुरह अलक़ की पहली तीन आयात की वही आप के पास लाये, 610 ईस्वी (अस वक्त आपकी उम्र चालीस 40 साल थी)।

۞ आम उल हुज़्न

हिजरत ए मदिना से तीन साल क़ब्ल अबु तालिब और सय्यिदा खदिजा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा फौत हो गई।

۞ हिजरत

622 ईस्वी में आप अपने अज़ीम साथी सैयदना अबु बकर सिद्दीक रज़िअल्लाहु तआला अन्हु को लेकर मक्का से हिजरत कर के मदिना तय्यबा तशरीफ ले गये।

۞ मक्की दौर

रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नबुव्वत के बाद मक्का में तेराह (13) साल रहे।

۞ मदनी दौर

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हिजरत के बाद मदिना में दस (10) साल रहे और फिर वफात के बाद अर्र-रफीक़ अल-आला के पास तशरीफ ले गये।

۞ गज़वा ए बद्र

2 हिजरी को बद्र इस्लाम और कुफ्र का पहला बड़ा मारकाह हुआ जिसमें अबु जहल मारा गया।

۞ ग़ज़वा ए उहुद

3 हिजरी, इस ग़ज़वे में सत्तर से क़रीब सहाबा ए किराम मसलन, सय्यिदना हमज़ाह बिन अब्दुल मुत्तलिब रज़िअल्लाहु तआला अन्हु शहीद हुए और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ज़ख्मी हुए।

۞ ग़ज़वा ए ख़न्दक़

5 हिजरी, (अहज़ाब ए कुफ्फार ने मदिना पर हमला किया और नाकाम वापस गये।

۞ सुलह हुदैबिया

6 हिजरी, इसका ज़िक्र कुरआन ए मजीद में भी है।

۞ ग़ज़वा ए ख़ैबर

7 हिजरी, ख़ैबर फतह हुआ।

۞ फतह मक्का

8 हिजरी, मक्का फतह हुआ और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अहले मक्का को मुआफ कर दिया। इस साल ग़ज़वा ए हुनैन भी हुआ था।

۞ ग़ज़वा ए तबूक

9 हिजरी।

۞ हज्जतुल विदा

10 हिजरी।

۞ दावत

कुरआन, हदीस, तौहीद और सुन्नत, आपकी दावत है, आपने लोगों को शिर्क वि कुफ्र के घटा-टौप अंधेरों से निकाल कर तौहीद व सुन्नत के नूरानी रास्ते पर गामज़न कर दिया।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:

“मुसलमान मुसलमान का भाई है, ना उस पर ज़ुल्म करता है और ना उस पर ज़ुल्म होने देता है।”

(सहीह बुखारी: 2442, सहीह मुस्लिम: 2580)

۞ अख्लाक़

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अख्लाक़ सब से आला दर्जे पर फाईज़ थे:

इरशादे बारी तआला है:

وإنـك لـعـلى خـلـق عــظيــم

“और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अज़ीम अख्लाक़ पर फाईज़ है।”

सुरह क़लम, 4.

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:

أكمل المؤمنين إيمانًا احسنهم خلقًا وخياركم خياركم لنسائهم خلقًا

“मोमिनों में मुकम्मल ईमान वाले वह हैं जिनके अख्लाक़ अच्छे हैं और तुममें से बहतरीन लोग वह है जो अपनी औरतों से अच्छे अख्लाक़ के साथ पेश आते हैं।”

जामिआ तिर्मिज़ी, 1162, यह हसन सहीह है।

۞ मुअल्लिम ए इंसानियत

एक सहाबी रज़िअल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है, “मैंने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बेहतरीन मुअल्लिम (उस्ताद) अच्छे तरीक़े से तालीद देने वाला किसी को नहीं देखा, ना पहले और ना बाद, अल्लाह की क़सम! आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे ना डांटा, ना मारा और ना बुरा भला कहा।

सहीह मुस्लिम, 537.

۞ मुआमलात

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया:

إن خـيـاركـم احـسـنـكـم قـضـاء

तुममें से बेहतरीन लोग वह हैं जो बेहतरीन तरीक़े से क़र्ज़ अदा करें।

सहीह अल बुखारी, 2305. सहीह मुस्लिम, 1601.

मज़ीद फरमाया:

دع ما يريبك إلى ما لا يريبك فإن الصدق طمأنينة وإن الكذب ريبة

शक वाली चीज़ को छोड़ दो और यक़ीन वाली चीज़ को इख्तियार करों क्योंकि यक़ीनन सच्चाई इम्तिहान है और झुट शक व शुबाह है।

जामिआ तिर्मज़ी, 2518, यह हदीस सहीह है।

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कभी किसी खाने में नुक्स नहीं निकाला, अगर पसंद फरमाते तो खा लेते और अगर पसंद ना फरमाते तो छोड़ देते थे।

सहीह अल बुखारी, 5409.

۞ वफात

11 हिजरी बरोज़ सोमवार, माह ए रबिउल अव्वल में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खातिमुन्नबीयीन व रहमतुल्लि आलमीन इस दुनिया से तशरीफ ले गये, उस वक़्त आप की उम्र मुबारक 63 साल थी।

صلى الله عليه و آله وأصحابه وأزواجه وسلم

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स्रोत: इशातुल हदीस, शुमराह 63, सफहा 34-36.