रोमन - |
۞ सूरह काफ़िरून
1. कुलया अय्युहल काफिरून
2. ला आबुदु मा ताअबुदून
3. वला अन्तुम आबिदूना मा आबुद
4. वला अना आबीदुम मा आ बदतुम
5. वला अन्तुम आबीदूना मा अबुद6. लकुम दिनुकुम वल यदीन
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ काफिरों (1)
तुम जिन चीज़ों को पूजते हो, मैं उनको नहीं पूजता (2)
और जिस (ख़ुदा) की मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत नहीं करते (3)
और जिन्हें तुम पूजते हो मैं उनका पूजने वाला नहीं (4)
और जिसकी मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत करने वाले नहीं (5)
तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन मेरे लिए मेरा दीन (6)
—
۞ सूरह इख्लास
1. कुल हुवल्लाहु अहद
2. अल्लाह हुस्समद
3. लम यलिद वलम यूलद
4. वलम य कुल्लहु कुफुवन अहद |
तुम कह दो कि ख़ुदा एक है (1)
ख़ुदा बरहक़ बेनियाज़ है (2)
न उसने किसी को जना न उसको किसी ने जना, (3)
और उसका कोई हमसर नहीं (4)
—
۞ सूरह फ़लक़
1. कुल आअुजुबि रब्बिल फलक
2. मिन शर्री मा खलक
3. व मिन शर्री गासिकिन इजा वकब
4. व मिन शर्रीनफ्फासाती फिल ऊकद
5. व मिन शर्री हासिदिन इजा हसद |
तुम कह दो कि मैं सुबह के मालिक की हर चीज़ की बुराई से (1)
जो उसने पैदा की पनाह माँगता हूँ (2)
और अँधेरी रात की बुराई से जब उसका अँधेरा छा जाए (3)
और गन्डों पर फूँकने वालियों की बुराई से (4)
(जब फूँके) और हसद करने वाले की बुराई से जब हसद करें(5)
—
۞ सूरह नास
1. कुल आअुजुबिरब्बिन नास
2. मलिकिन नास, इलाहिन नास
3. मिन शर्रिल वसवासिल खन्नास
4. अल लजी युवसविसु फी सुदुरिन नास
5. मिनल जिन्नति वन नास |
तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार (1)
लोगों के बादशाह (2)
लोगों के माबूद की (शैतानी) (3)
वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ (4)
जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है (5)
जिन्नात में से ख़्वाह आदमियों में से (6)
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