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अलहम्दुलिल्लाह
नमाज़ ए तस्बीह का तरीका यह है कि इसमें एक खास तस्बीह होती है जिसे नमाज़ के बहुत से म़ौकों पर पढ़ी जाती है। यह चार रकाअत नमाज़ होती है जो एक सलाम से अदा करना होता है और इसमें 300 दफा यह तस्बीह पढ़ना होता है 4 रकाअत में।
इस तस्बीह के अल्फाज़ ऐसे हैं:
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर
۞ सलातुल तस्बीह पढ़ने का स्टेप बाय स्टेप तरीका
1. तकबीर (अल्लाहु अक्बर) कह कर नमाज़ की शुरूआत करें। [नोट: नमाज़ की नियत ज़बान से अदा करना रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का तरीका नहीं है इसलिए इसकी नज़रअंदाज़ करें।]
2. फिर सना पढ़ें। (सुब्हानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दिका....)
3. सुरह फातिहा पढ़ें।
4. सुरह फातिहा के बाद कोई सुरत या आयात पढ़ें।
5. फिर इस को 15 मर्तबा पढ़े “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
6. रूकुअ में जाये और रूकुअ में पढ़े जाने वाले ज़िक्र को पढ़े (सुब्हान रब्बीयल अज़ीम)। इसको पढ़ने के बाद 10 मर्तबा यह ज़िक्र पढ़ें, “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
7. रूकुअ से उठें और इस हालत में जो ज़िक्र पढ़ी जाती है उसे पढ़ें, और फिर इसके बाद फिर से 10 मर्तबा यह ज़िक्र पढ़ें, “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
8. अब सज्दें में जाये और सज्दे का ज़िक्र पढ़ें (सुब्हाना रब्बी अल आला) और फिर इसके बाद 10 मर्तबा यह ज़िक्र पढ़ें “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
9. अब सज्दे से उठें और सज्दे से उठने की दुआ पढ़ें (रब्बीग़ फिरली रब्बीग़ फिरली) और फिर इसके बाद फिर से 10 मर्तबा यह ज़िक्र पढ़ें, “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
10. अब दुसरा सज्दा करें, सज्दे वाली ज़िक्र पढ़े और फिर इसके बाद 10 मर्तबा यह ज़िक्र पढ़ें, “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
11. दुसरे सज्दे से सर उठाने के बाद फिर से यह पढ़ें 10 मर्तबा, “सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
12. फिर दुसरी रकाअत के लिये खड़े होना है और इसी तरह दुसरी रकाअत भी मुकम्मल करनी है और इसमें तशह्हुद भी होगा (अत्तहियात) जैसे कि आम 4 रकाअत की दुसरी रकाअत में होती है।
13. इसी तरह तीसरी और चैथी रकाअत भी मुक़म्मल करनी है।
14. फिर चैथी रकाअत में सारे अज़कार व दुआऐं पढ़ कर सलाम फैरें।
आपकी 4 रकाअत नमाज़ ए तस्बीह मुक़म्मल हुई।
सुनन इब्ने माजाह, किताब इक़ामतुस्सलाती व सुन्नती फीहा (5), हदीस- 1387, इसे दारूस्सलाम ने हसन क़रार दिया है।
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