اقرأ باسم ربك الذي خلق

सुरह बक़रा की आखरी दो (2) आयात और इसकी फज़िलत


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अल्लाह तआला फरमाते है,

۞ रसूल ईमान लाये उस चीज़ पर जो उनकी तरफ अल्लाह की जानिब से उतरी और मोमिन भी ईमान लाये, यह सब अल्लाह और उसके फरिश्तों पर और उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर ईमान लाये, उसके रसूलों में से किसी में फर्क़ नहीं करते, उन्होंने कह दिया कि हमने सुना और इताअत की, हम तेरी बख्शिश तलब करते है, ऐ हमारे रब! हमें तेरी ही तरफ लौटना है।

अल्लाह किसी शख्स पर उसकी क़ुव्वत से ज़्यादा बोझ नहीं डालता, जो नेकी वह करे वह उसके लिए और जो बुराई वह करे वह उसपर है, ऐ हमोर रब! अगर हम भुल गये हो या खता की हो, तो हमें ना पकड़ना, ऐ हमारे रब! हम पर वह बोझ ना डाल जो हमसे पहले लोगों र डाला था, ऐ हमारे रब! हमपर वह बोझ ना डाल जिसकी हमें ताकत ना हो और हमसे दरगुज़र फरमा! और हमें बख्श दे और हम पर रहम कर! तू ही हमारा मालिक हे, हमें काफिरों की क़ौम पर ग़लबा अता फरमा।

सुरह बक़रा, आयत 284-285.

۩ अब्दुल्लाह बिन उमर रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा रिवायत करते है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को (मेराज वाली रात) तीन चीज़े दी गई थी, उन्हें पांच नमाज़े दी गई थी, सुरह बकरा की इख्तितामी (आखरी) आयतें दी गई थी, और उनकी उम्मत के लोगों को संगीन गुनाहों की माफी दी गई थी जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं करते।

सहीह मुस्लिम, किताब अल ईमान (1), हदीस 173.

۩ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, “जिसने सुरह बक़रा की दो (2) आखरी आयात रात में पढ़ ली वह उसे (हर आफत से बचाने के लिए) काफी हो जाएगी।”

सहीह अल बुखारी, किताब फज़ाईल अल कुरआन (66), हदीस 5009.

۩ इब्ने क़य्यम कहते है,

“वह (आयतें) उसको किसी भी बुराई के खिलाफ काफी कर देगी जो उसे नुकसान पहूंचा सकती है।”

अल-वाबिल-अल-सय्यिब (132).

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