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अलहम्दुलिल्लाह
इब्ने उमर रज़िअल्लाहु तआला अन्हुमा बयान करते है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया,
“सुरज और चाँद में ग्रहण किसी की मौत या ज़िन्दगी से नहीं लगता बल्कि यह अल्लाह तआला की निशानीयों में से दो निशानीयां हैं, इसी लिए जब तुम यह देखों तो नमाज़ पढ़ों।”
सहीह अल बुखारी, किताब अल कुशूफ (16)-1042.
۞ यह नमाज़ पढ़ने का स्टेप बाय स्टेप तरीका
1. तकबीर (अल्लाहु अक्बर) कह कर नमाज़ की शुरूआत करें। [नोट: नमाज़ की नियत ज़बान से अदा करना रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का तरीका नहीं है इसलिए इसकी नज़रअंदाज़ करें]
2. फर सना पढ़ें। (सुब्हानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दिका....)
3. सुरह फातिहा पढ़ें।
4. अब लम्बा क़याम क़याम करें यानि क़ुरआन की सुरत या आयात पढ़ें।
5. फिर रूकुअ में जायें। (यह रूकुअ लम्बा होना चाहिए)
6. फिर रूकुअ से उठें।
7. अब फिर से क़याम करे जो लम्बी होगी लेकिन पहले क़याम से छोटी होगी। [सुरह फातिहा+ कोई सुरत/आयत]
8. अब फिर रूकुअ में जायें जो कि लम्बी होगी लेकिन पहले वाली रूकुअ से छोटी होगी।
9. अब सज्दे में जायें। [ 2 सज्दें करना है]
10. सज्दे को अदा करने के बाद वापिस से उठें (यहां एक रकाअत नमाज़ मुक़म्मल हुई)
11. फिर सुरह फातिहा पढ़ें।
12. अब फिर से कोई सुरत या आयात पढ़ें जो कि लम्बी होगी लेकिन दुसरे क़याम से छोटी होगी।
13. अब रूकुअ में जाये जो कि लम्बी होगी लेकिन दुसरे रूकुअ से छोटी होगी।
14. अब फिर क़याम करें जो कि तीसरे क़याम से छोटी होगी। [सुरह फातिहा+ कोई सुरत/आयत]
15. अब फिर से रूकुअ में जाये और यह रूकुअ तीसरे रूकुअ से छोटी होगी।
16. अब सज्दे में जाये और सज्दा करें। [2 सज्दें करना है]
17. अब तशह्हुद और बाकि चीज़ें पढ़ें जो हर नमाज़ में पढ़ी जाती है।
18. फिर सलाम फैरें।
आपकी दो रकाअत नमाज़ ए कुशूफ मुक़म्मल हुई।
सहीह अल बुखारी, किताब अल कुशूफ (16), हदीस - 1052
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